Murlikant Petkar Biography :जानिए असली मुरलीकांत पेटकर की कहानी

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Murlikant Petkar यह एक भारतीय पैरा एथलीट है जिन्होंने हमारे भारत देश के लिए पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक (Gold Medal)जीता हुआ है। भारत के पहले पैरा एथलीट के नाम से उनको जाना जाता है। 1972 में हद  जर्मनी में ग्रीष्मकालीन परंपरा पैरालंपिक खेल हुए थे और उसमें उन्होंने 50 मीटर की फ्रीस्टाइल तैराकी (Free Style Swimming)में गोल्ड मेडल जीता था। और इसी के साथ-साथ उन्होंने इस प्रतियोगिता में एक विश्व रिकॉर्ड भी सेट किया। आज के इस लेख में  हम आपको मुरलीकांत पेटकर के बारे में बहुत सारी जानकारी बताएंगे तो अगर आपको यह लेख अच्छा लगता है ,तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हो।

Quick Information

CategoryInformation
Full NameMurlikant Petkar
Date of BirthJanuary 1, 1940
Place of BirthSangli district, Maharashtra, India
OccupationPara-athlete, Indian Army veteran
DisabilityBecame disabled due to injuries during the 1965 India-Pakistan war
SportSwimming, Para-athletics, Powerlifting, Table Tennis
Gold Medal1972 Summer Paralympics, 50m freestyle swimming
World RecordSet a world record during the 1972 Paralympics
Notable AwardsPadma Shri (2018), Various national and international sports awards
Film“Chandu Champion” releasing in June 2024

Murlikant Petkar Biography

मुरलीकांत पेटकर का जन्म महाराष्ट्र के सांगली जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में 1 जनवरी 1940 को हुआ था। वह जब छोटे थे तब से ही उन्हें खेल कूद में बहुत ही रुचि थी। वह अपने स्कूल में जब पढ़ाई कर रहे थे उसी के दौरान स्कूल में होने वाले अलग-अलग प्रतियोगिता में शामिल होते थे।बचपन में मुरलीकांत भारत के लिए चैंपियन बनकर मेडल लाना चाहता है। उनके इस ख्वाब का बचपन में बहुत मजाक उड़ाया जाता है ,सभी लोगों से हंसी मजाक में चंदू चैंपियन नाम से चिढ़ाने लगते हैं।उसके बाद उन्होंने भारतीय सेवा में भर्ती कर ली। 

Murlikant Petkar Biography

इंडियन आर्मी में मुरलीकांत पेटकर का करियर 

Murlikant Petkar का जीवन तब जाकर एक नया मोड़ लेता है जब वह भारतीय सेवा में दाखिल होते हैं। जब वह भारतीय सेवा में दाखिल हुए तब उन्होंने बॉक्सिंग और स्विमिंग में  एक अच्छी पकड़ बनाई। उनकी इसी दो स्किल की वजह से वह सेवा में बहुत मशहूर थे और वह अपने जो यूनिट था उसके मुख्य खिलाड़ी बन गए थे।

1965 में जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था ,तो उसके दौरान मुरलीकांत पेटकर गंभीर रूप से जख्मी और घायल हो गए थे |उनको ९ गोलिया लगती है , उसमे से एक गोली आज भी उनके शरीर में है। जिसके परिणाम के स्वरूप उन्हें विकलांगता का सामना करना पड़ता है। यह एक उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती थी लेकिन इसके बाउजूद उन्होंने हार नहीं मानी और फिर उन्होंने अपने मानसिक और शारीरिक शक्ति को फिर से स्थापित कर लेने निश्चय किया | 

विकलांगता के बाद का संघर्ष 

भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान के मुरलीकांत पेटकर घायल हुए थे ।उसके बाद उन्होंने उनको विकलांगता के कारण बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन उन्होंने इस चीज को उनके ऊपर कभी हावी होने नहीं दिया और उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी ।उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण वह हमेशा सकारात्मक सोच रखते थे।

मुरलीकांत को उनका गोल यानी लक्ष्य पता था और इसके लिए मुरलीकांत पेटकर अपनी शारीरिक सीमाओं को और विकलांगता को कभी भी उसके बीच में बाधा डालने नहीं दिया। उन्होंने न केवल स्विमिंग में बल्कि उसी के साथ-साथ पैरा एथलेटिक्स ,टेबल टेनिस इस प्रकार की खेल में अपना कौशल्या दिखाए। और उनकी इसी मेहनत और लगन की वजह से बहुत ही जल्द एक उच्च स्तर के खिलाड़ी बन गए।

1972 का पैरालंपिक Event 

Murlikant Petkar Biography

मुरलीकांत पेटकर के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण साल था 1972 का जब उन्होंने जर्मनी में जो ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक का प्रतियोगिता हुई थी उसके प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 50 मीटर फ्री स्टाइल स्विमिंग के दौरान स्वर्ण पदक जीत लिया | ना कि सिर्फ जीता इसी के साथ-साथ उन्होंने इस प्रतिस्पर्धा में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी स्थापित किया। इस स्वर्ण पदक के साथ-साथ वह पहले भारतीय खिलाड़ी बने जिन्होंने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, और इसी उपलब्धि के कारण उनका भारतीय खेल इतिहास में नाम जोड़ा गया।

Other Sport’s Achievement

मुरलीकांत पेटकर ने न केवल स्विमिंग में बल्कि उसी के साथ-साथ और कई खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाई है। जैसे कि पावरलिफ्टिंग, टेबल टेनिस इस प्रकार की प्रतियोगिता में भी उन्होंने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है ।उनकी इसी बहुमुखी प्रतिभा के कारण वह एक असाधारण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया ,और उन्होंने विभिन्न खेलों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

उनको मिले हुए अवार्ड पुरस्कार और सम्मान 

Murlikant Petkar Biography

मुरलीकांत पेटकर को उनकी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनको राष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। 2018 में उनको हमारे भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

YearHonor
2018Padma-shree Award
1981Outstanding Sportsman Award by the Mayor of Pune
1979Awarded Krida Pratishthan on April 5, 1979 for being an outstanding sportsman by Shri Vijay Merchant at Bombay.
1976Mr. Thorat for being the National Champion for 7 Years straight
1975for outstanding performance by Pune Jaycees
1973Gaurav Padak by then Mayor of Pune N. B. Limaye
1971Best Swimmer Shield by Gen Manekshaw AT Bombay
1965Raksha Medal

मुरलीकांत पीटकर का व्यक्तिगत जीवन 

मुरलीकांत पेटकर के व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत ही संघर्ष रहा है। लेकिन जीवन में कितना भी संघर्ष हो उनके साथी ने उनका हर एक कदम पर उनका साथ दिया है और उनको हमेशा प्रोत्साहित किया है उनका परिवार हमेशा कोई भी परिस्थिति में उनके साथ रहता था और उनका जो संघर्ष का समय चल रहा था उसे समय उनके परिवार उनके साथ खड़ा था। उनके व्यक्तिगत जीवन से हमें यही सीख मिलती है की कितनी भी कठिनाइयों और चुनौती आए उसके बावजूद अगर हम दृढ़ संकल्प और मेहनत करते हैं तो कुछ भी संभव नहीं है। 

मुरलीकांत पीटकर की यह कहानी नहीं केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में जो विकलांग खिलाड़ी है ,उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक बहुत ही प्रेरणादाई कहानी है, एक प्रेरणा का स्रोत है ।उनकी जो मेहनत है उनका जो धैर्य है उनका दृढ़ संकल्प है यही सब चीज उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाया है। उनकी सफलता की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कितनी भी चुनौतियां आए हमें उसे डरना नहीं चाहिए हमें उनका आदर कर सामना करना चाहिए। 

उनका समाज में योगदान 

Murlikant Petkar में अपना अनुभव का उपयोग हमारे समाज में जागरूक जागरूकता फैलाने के लिए किया है। उनकी जो विकलांगता की कहानी है उसे बहुत सारे खिलाड़ी और बहुत सारे लोग प्रोत्साहित हुए हैं। उनकी वजह से जो विकलांग खिलाड़ी है , उन सभी खिलाड़ियों को एक ऊर्जा का स्रोत मिला है। उनके अंदर भी कुछ कर दिखाने का जुनून आता है,जब वह मुरलीकांत पेटकर करती कहानी सुनते हैं। इस प्रकार से उनका सामाजिक जागरूकता में बहुत ही बड़ा योगदान है।

मुरलीकांत पेट करके मूवी 

मुरलीकांत पेटकर के कहानी बहुत ही ज्यादा प्रेरणादाई है इसलिए उनकी कहानी बहुत सारी किताबें आई है। उनकी इस कहानी के ऊपर बहुत सारी किताबें लिखी गई है। उनकी यह जीवन की संघर्ष की कहानी बहुत सारी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है जिसमें से की एक नई फिल्म जो कि अभी जून 2024 में सिनेमाघर में आने वाली है उसका नाम है चंदू चैंपियन। इस मूवी का ट्रेलर आ गया है और चंदू चैंपियन मूवी जून 2024 में सिनेमाघर में आने वाली है।

निष्कर्ष 

मुरलीकांत पेटकर का जीवन संघर्ष और सफलता से भरा हुआ है। उनके अलग-अलग खेल में को अलग-अलग कौशल के कारण वह ना सिर्फ महान खिलाड़ी बन गए बल्कि वह एक प्रेरणादायक व्यक्तिमहत्व बन गए हैं । उनके जीवन में बहुत सारी चुनौतियां आई लेकिन उन्होंने हर एक चुनौती का डटकर सामना कियाउनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि विकलांगता  यह कोई बड़ी चीज नहीं हो सकती क्योंकि अगर आपके अंदर  जुनून और मेहनत करने का पोटेंशियल है तो आप में जीवन में कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हो।

FAQ’s

murlikant petkar age

79 years

murlikant petkar disability

He was disabled during the 1965 war against Pakistan, sustaining severe bullet wounds

Who is India’s first Paralympic gold medalist?

India’s first medal in Paralympics came in 1972 Games, with Murlikant Petkar winning a gold medal in swimming.

मुरलीकांत पेटकर का जन्म कहां हुआ था?

मुरलीकांत पेटकर का जन्म महाराष्ट्र के सांगली जिले में हुआ था।

मुरलीकांत पेटकर ने कब और किस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता?

1972 की ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक्स में उन्होंने 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में स्वर्ण पदक जीता।

मुरलीकांत पेटकर की जीवनी पर कितनी फिल्में बन चुकी हैं?

एक नई फिल्म “चंदू चैंपियन” 2024 में रिलीज़ होने जा रही है।

चंदू चैंपियन कब रिलीज होगी?

चंदू चैंपियन फिल्म 14 जून, 2024 को थिएटर में रिलीज होगी।

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