Who is Puja Khedkar : पूजा खेडकर (Puja Khedkar) एक आईएएस ऑफिसर हैं, जिनका नाम कई विवादों में आया है। उनकी कहानी बहुत दिलचस्प और चौंकाने वाली है। आइए जानते हैं उनकी जीवनी के बारे में।
प्रारंभिक जीवन
पूजा खेडकर का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिताजी दिलीप राव खेडकर एक रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं। वे महाराष्ट्र पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में काम करते थे। पूजा की मां भाल कांव गांव की सरपंच हैं। उनके दादाजी भी एक सीनियर ब्यूरोक्रेट थे।
शिक्षा
पूजा (Puja Khedkar) ने अपनी एमबीबीएस की डिग्री पुणे से प्राप्त की। इसके बाद वे दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में काम करने लगीं। पूजा का बचपन से ही सपना था कि वे यूपीएससी एग्जाम क्लियर करके आईएएस ऑफिसर बनें।
यूपीएससी सफर
पूजा ने कई बार यूपीएससी एग्जाम दिया। आखिरकार 2019 में उन्हें सफलता मिली और वे आईआरएस में भर्ती हुईं। नवंबर 2021 में उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में असिस्टेंट डायरेक्टर की जॉब के लिए अप्लाई किया और उन्हें वह जॉब मिल भी गई।
विवाद और जांच
पूजा का नाम कई विवादों में जुड़ा है। उन पर फर्जी प्रमाण पत्र जमाकर आईएएस बनने का आरोप है। केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है जो इन आरोपों की जांच कर रही है।
- क्लस्ट्रोफोबिया का बहाना: पूजा के एडवोकेट ने कहा कि पूजा को क्लस्ट्रोफोबिया है, इसलिए वे एमआरआई स्कैन नहीं करवा सकतीं। यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें बंद जगहों में घबराहट होती है।
- पुलिस पर दबाव: 18 मई को पूजा ने नवी मुंबई के डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस विवेक पंसारे को कॉल किया और एक स्टील चोरी के आरोपी को छोड़ने के लिए कहा। यह कॉल पूजा खेडकर ने किया था।
- प्रॉपर्टीज और इनकम: पूजा के पास अहमदनगर और पुणे में सात प्रॉपर्टीज हैं, जिनकी कुल वैल्यू 17 करोड़ है। इनसे उनकी एनुअल इनकम 48 लाख है। इसके बावजूद उन्हें नॉन क्रीमी लेयर की ओबीसी रिजर्वेशन मिल गई।
- मेडिकल एग्जामिनेशन: यूपीएससी एग्जाम क्लियर करने के बाद एम्स हॉस्पिटल ने पूजा को मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए बुलाया। पर पूजा ने कई बार इसे करने से मना कर दिया। उन्होंने कोविड और एमआरआई स्कैन न करवा सकने का बहाना दिया।
ट्रेनिंग और पोस्टिंग
पूजा (Puja Khedkar) की ट्रेनिंग पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरेट में शुरू हुई। वे एक असिस्टेंट कलेक्टर बन गईं। लेकिन उनकी पोस्टिंग भंडारा डिस्ट्रिक्ट में हुई थी। यह सवाल उठता है कि उन्हें पुणे में ट्रेनिंग की अपॉर्चुनिटी कैसे मिल गई।
विशेष प्रिविलेजेस की मांग
पूजा (Puja Khedkar) ने आईएएस बनने के बाद कई विशेष प्रिविलेजेस की मांग की। उन्होंने अपनी प्राइवेट गाड़ी में लाल बत्ती, वीआईपी नंबर प्लेट और महाराष्ट्र सरकार बोर्ड की मांग की। उन्होंने कलेक्टर से अलग से बैठने की व्यवस्था, कार, आवाज और कांस्टेबल तक की मांग की।
बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
पूजा ने अपना केस सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइबल (सीटी) के पास ले गईं। सीटी ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया। इसके बाद पूजा बॉम्बे हाई कोर्ट गईं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके हक में रूलिंग की और एम्स को कहा कि दूसरे तरीके से मेडिकल एग्जामिनेशन करें।
वर्तमान स्थिति
पूजा खेडकर (Puja Khedkar) का केस अभी भी जांच के दायरे में है। यह केस हमारे सिस्टम की कई खामियों को उजागर करता है। पूजा के केस से यह साफ है कि हमारे सिस्टम में बड़े रिफॉर्म्स की जरूरत है ताकि मेहनती और ईमानदार कैंडिडेट्स को उनका हक मिल सके।
पूजा खेडकर (Puja Khedkar) की कहानी हमें यह सिखाती है कि सिस्टम को सुधारने की सख्त जरूरत है और हमें ऐसे मामलों पर ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।