Why Bollywood Should Avoid Remakes: Changing Audience Preferences : क्यों बॉलीवुड में रीमेक्स बनाना एक बुरा आइडिया हैबॉलीवुड में रीमेक्स का इतिहास बहुत लंबा है। कुछ फिल्में हिट हुई हैं, लेकिन ज्यादातर फ्लॉप। आइए जानते हैं क्यों रीमेक्स अक्सर काम नहीं करतीं और ये एक बुरा आइडिया क्यों हैं।
Why Bollywood Should Avoid Remakes
बॉलीवुड में रीमेक्स का इतिहास
1992 में आई “जो जीता वही सिकंदर” आमिर खान की फिल्म थी और यह बहुत हिट रही। इस फिल्म की यंगस्टर्स वाली वाइब और कंपटीशन सबको पसंद आया। लेकिन, क्या आपको पता है यह फिल्म 1979 की “ब्रेकिंग अवे” से इंस्पायर्ड थी? इसी तरह, 1991 में आई आमिर खान की “दिल है कि मानता नहीं” भी बहुत बड़ी हिट थी। लेकिन यह भी 1956 की राज कपूर और नरगिस की फिल्म “चोरी चोरी” का रीमेक थी।
हाल की रीमेक्स और उनकी असफलता
हाल के वर्षों में, बॉलीवुड ने रीमेक्स का ट्रेंड जारी रखा है। 2008 में आई आमिर खान की “गजनी” 2005 की तमिल फिल्म का रीमेक थी। और वह भी क्रिस्टोफर नोलन की 2001 की फिल्म “मोमेंटो” से इंस्पायर्ड थी। फिर भी, आमिर खान की 2022 की “लाल सिंह चड्ढा,” जो “फॉरेस्ट गंप” का रीमेक थी, फ्लॉप हो गई। इसका कारण था कि “फॉरेस्ट गंप” लॉकडाउन के दौरान बहुत लोगों ने देख ली थी।
रीमेक्स की समस्या
रीमेक्स का सबसे बड़ा इशू है कि बॉलीवुड ऐसी फिल्में चुनता है जो कुछ साल पहले ही रिलीज हुई होती हैं। जैसे शाहिद कपूर की “जर्सी,” जो 2019 की तेलुगु फिल्म का रीमेक थी। ओरिजिनल फिल्म लोगों के दिमाग में अभी भी ताजा थी, इसलिए उन्होंने रीमेक देखने की जरूरत नहीं समझी। इसके अलावा, कई ओरिजिनल फिल्में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी डब के साथ उपलब्ध हैं, जिससे रीमेक अनावश्यक हो जाती हैं।
OTT प्लेटफॉर्म्स का असर
पेंडेमिक के बाद, लोगों ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर वर्ल्ड सिनेमा को खोजा। मराठी मूवी “मुलशी पैटर्न” बहुत पॉपुलर हुई, तो सलमान खान की “अंतिम” ने ज्यादा ध्यान नहीं खींचा। अन्य उदाहरण हैं अक्षय कुमार की “लक्ष्मी,” जो 2011 की तमिल फिल्म “कंचना” का रीमेक थी, और वरुण धवन की “कुली नंबर 1,” जो 1995 की फिल्म का रीमेक थी। दोनों का रिसेप्शन बहुत खराब रहा।
क्यों कुछ रीमेक्स सफल होती हैं
कुछ रीमेक्स सफल भी होती हैं। “दृश्यम 2” अजय देवगन की फिल्म थी और यह हिट रही क्योंकि ओरिजिनल “दृश्यम” पॉप कल्चर बन चुकी थी। लोग इसके कैरेक्टर्स और स्टोरी से पहले से ही जुड़े थे। इसी तरह, “चमकीला” की कहानी ओरिजिनल से मिलती-जुलती थी, लेकिन वह हिंदी में उपलब्ध नहीं थी, इसलिए रीमेक चली।
पहचान का रोल
ओरिजिनल फिल्मों की पहचान रीमेक्स की असफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब ओरिजिनल फिल्म लोगों के दिमाग में ताजा होती है, तो रीमेक का असर नहीं होता। जैसे अक्षय कुमार की “सेल्फी,” जो 2019 की मलयालम फिल्म “ड्राइविंग लाइसेंस” का रीमेक थी, फ्लॉप हो गई।
ओरिजिनल कंटेंट की जरूरत
बॉलीवुड को ओरिजिनल कंटेंट पर फोकस करना चाहिए। नई कहानियों और कॉन्सेप्ट्स को दर्शक खुली बाहों से एक्सेप्ट कर रहे हैं। “स्त्री” और “अंधाधुन” जैसी ओरिजिनल फिल्मों की सफलता इसका सबूत है। जब फिल्ममेकर्स रीमेक्स पर निर्भर होते हैं, तो यह क्रिएटिविटी और ओरिजिनैलिटी की कमी को दिखाता है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष यह है कि बॉलीवुड में रीमेक्स अक्सर एक बुरा आइडिया होती हैं। मुख्य कारण यह है कि ओरिजिनल फिल्में लोगों के दिमाग में ताजा होती हैं। साथ ही, OTT प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने से लोग आसानी से वर्ल्ड सिनेमा देख सकते हैं, जिससे रीमेक्स का आकर्षण कम हो जाता है। बॉलीवुड को दर्शकों का ध्यान खींचने के लिए ओरिजिनल कंटेंट पर फोकस करना चाहिए। अगर फिल्ममेकर्स रीमेक्स पर निर्भर रहेंगे, तो वे अपने दर्शकों को खो सकते हैं और अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
फिल्ममेकर्स के लिए सिफारिशें
- ओरिजिनलिटी पर फोकस करें: नई कहानियों और कॉन्सेप्ट्स में निवेश करें। ओरिजिनल कंटेंट दर्शकों को ज्यादा आकर्षित करता है।
- दर्शकों को समझें: जानें कि आज का दर्शक वर्ल्ड सिनेमा देख रहा है और फ्रेश और यूनिक कंटेंट चाहता है।
- क्वालिटी ओवर क्वांटिटी: साल में कई फिल्में बनाने के बजाय, कुछ हाई-क्वालिटी फिल्में बनाएं।
- क्लासिक्स को मॉडर्नाइज करें: अगर रीमेक्स जरूरी हैं, तो पुरानी फिल्मों को चुनें और उन्हें मॉडर्न टच दें। इससे कहानी में फ्रेशनेस आ सकती है।
- हालिया फिल्मों से बचें: हाल ही में रिलीज हुई फिल्मों का रीमेक बनाने से बचें। दर्शकों को ये फिल्में अभी भी याद रहती हैं और वे रीमेक में इंटरेस्ट नहीं लेते।
इन सिफारिशों का पालन करके, बॉलीवुड ऐसी फिल्में बना सकता है जो आज के दर्शकों के साथ कनेक्ट हो और समय की कसौटी पर खरी उतरे।