Maharaja Movie Review: How is Vijay Sethupathi’s 50th film?

Maharaja Movie Review: विजय सेतुपति इंडिया के टॉप एक्टर्स में से एक हैं। वो सिर्फ हीरो नहीं, हर रोल में अपनी टैलेंट दिखाते हैं। विजय सेतुपति का 50वां फिल्म, ‘महाराजा’, बहुत ही एक्साइटिंग है। उनके फैन्स सिर्फ तमिल में नहीं, पूरे इंडिया में हैं। आइये देखते हैं इस फिल्म का रिव्यू और निथिलन स्वामिनाथन ने इसे कैसे डायरेक्ट किया है।

Maharaja Movie Review
Maharaja Movie Review
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Follow Now

Also Read : The Boys Season 4

महाराजा की कहानी: (Maharaja Movie Review)

महाराजा (विजय सेतुपति) चेन्नई के पास एक बार्बर हैं। एक एक्सीडेंट में उनकी वाइफ की डेथ हो जाती है और वो अपनी टीनएज बेटी ज्योति के साथ रहते हैं। एक दिन महाराजा पुलिस स्टेशन जाते हैं और शिकायत करते हैं कि तीन गुंडों ने उनके घर से उनकी ‘लक्ष्मी’ को किडनैप कर लिया। पहले पुलिस समझती है कि लक्ष्मी कोई लड़की है, लेकिन वो एक आयरन डस्टबिन होती है। महाराजा बताते हैं कि उनकी बेटी उसी डस्टबिन की वजह से बची थी, इसलिए वो स्पेशल है। पुलिस उन्हें पागल समझती है, लेकिन महाराजा लाखों रुपये की रिश्वत देकर लक्ष्मी को ढूंढ़ने की बात करते हैं। पुलिस इन्वेस्टिगेशन शुरू करती है, शक होता है कि डस्टबिन में कुछ खास है। क्या उन्होंने पाया? लक्ष्मी इतनी इंपॉर्टेंट क्यों है? वो तीन गुंडे कौन थे? ये जानने के लिए आपको ‘महाराजा’ देखनी पड़ेगी।

विजय सेतुपति की वर्सेटिलिटी: विजय सेतुपति अपने यूनिक रोल्स और स्टोरी चॉइसेस के लिए जाने जाते हैं। ‘महाराजा’ भी ऐसी ही फिल्म है। फिल्म का फोकस स्टोरी पर है। डायरेक्टर निथिलन स्वामिनाथन ने कहानी को अलग स्टाइल में पेश किया है। लास्ट में ऑडियंस शॉक्ड रह जाती है।

फिल्म में विजय सेतुपति का किरदार महाराजा, पुलिस स्टेशन में बताता है कि कोई उनकी लक्ष्मी ले गया है। स्टेशन के सीरियस सीन के बावजूद एंटरटेनमेंट भी है। सेवंल (अनुराग कश्यप) का किरदार चोरी और मर्डर करता दिखाया गया है। एक और सबप्लॉट में काउंसलर मैकेनिक को कार की सर्विसिंग के लिए पीटता है। ये सब स्टोरीज कनेक्ट होती हैं और डस्टबिन लक्ष्मी का मिस्ट्री सॉल्व करती हैं।

इमोशनल कोर: फिल्म की इमोशनल डेप्थ बहुत अच्छी है। महाराजा और उनकी बेटी ज्योति का रिश्ता खूबसूरती से दिखाया गया है। उनके बीच के सीन्स अच्छे से एक्सिक्यूट हुए हैं। स्लो पेस के बावजूद, स्ट्रॉन्ग परफॉर्मेंस और ग्रिपिंग नैरेटिव इंटरेस्ट बनाए रखता है।

Maharaja Movie Review
Maharaja Movie Review

सपोर्टिंग कास्ट: अनुराग कश्यप, जो डाइरेक्टोरियल वेंचर्स के लिए जाने जाते हैं, ने बैंडिट का रोल किया है। उनका परफॉर्मेंस अच्छा है, लेकिन तमिल या तेलुगु एक्टर बेहतर होते। सपोर्टिंग कास्ट, ममता मोहनदास, अभिरामी, और नट्टी की परफॉर्मेंस स्ट्रॉन्ग है।

डायरेक्शन और सिनेमैटोग्राफी: निथिलन स्वामिनाथन की डायरेक्शन और स्टोरीटेलिंग को क्रेडिट देना चाहिए। दिनेश पुरुशोथमन की सिनेमैटोग्राफी भी नोटेबल है, फिल्म की एसेंस को अच्छे से कैप्चर करती है। क्लाइमेक्स में ऑडियंस को रिवेंज स्टोरी का फील आता है।

म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर: अजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड म्यूजिक मेजर अट्रैक्शन है। ये फिल्म के मूड को कॉम्प्लीमेंट करता है और व्यूइंग एक्सपीरियंस को एन्हांस करता है।

स्ट्रेंथ्स और वीकनेस:

स्ट्रेंथ्स:

  1. विजय सेतुपति की परफॉर्मेंस: विजय सेतुपति ने फिर से अपनी एक्टिंग टैलेंट साबित की है। उनकी महाराजा की पोर्ट्रेयल ऑथेंटिक और रिलेटेबल है।
  2. यूनिक स्टोरी: फिल्म की यूनिक स्टोरीलाइन ऑडियंस को इंटरेस्टेड रखती है।
  3. इमोशनल डेप्थ: पिता-बेटी का रिश्ता हार्टवार्मिंग है और फिल्म को इमोशनल वेट देता है।
  4. डायरेक्शन और सिनेमैटोग्राफी: निथिलन स्वामिनाथन की डायरेक्शन और दिनेश पुरुशोथमन की सिनेमैटोग्राफी कमेंडेबल है।

वीकनेस:

  1. नॉन-लीनियर नैरेटिव: नॉन-लीनियर स्टोरीटेलिंग कुछ दर्शकों को कंफ्यूज कर सकती है।
  2. पेसिंग: कुछ सीन, खासकर ममता मोहनदास के इन्वाल्वमेंट वाले, लंबे खींचे हुए लगते हैं और टाइट हो सकते थे।

फाइनल थॉट्स:

‘Maharaja’ (Maharaja Movie Review)एक स्लो-बर्निंग थ्रिलर है। निथिलन स्वामिनाथन की डायरेक्शन और विजय सेतुपति की परफॉर्मेंस इसे यादगार बनाते हैं। फिल्म की यूनिक स्टोरीलाइन, इमोशनल डेप्थ, और स्ट्रॉन्ग परफॉर्मेंस इसके माइनर फ्लॉज को ओवरशैडो करते हैं। ‘महाराजा’ ट्रेडिशनल थ्रिलर्स से हटकर एक फ्रेश एक्सपीरियंस देता है। विजय सेतुपति के फैन्स निराश नहीं होंगे।

‘महाराजा'(Maharaja Movie Review) विजय सेतुपति के फैन्स और यूनिक और इमोशनल स्टोरीज को पसंद करने वालों के लिए एक मस्ट-वॉच है। फिल्म पिता और बेटी के रिश्ते को खूबसूरती से पेश करती है, जो दर्शकों पर गहरा असर छोड़ती है। स्लो पेस और नॉन-लीनियर नैरेटिव के बावजूद, ‘महाराजा’ एक ग्रिपिंग और इमोशनली एंगेजिंग थ्रिलर के रूप में खड़ा होता है।

Leave a Comment